कँगना के घर के काँच तोड़े गये है लेकिन कँगना ने तो सड़क पर ला दिया मंत्री minister और उनकी गंदी राजनीति के पावर को दिखाने के लिए

Motivational Thought

कंगना राणावत के खिलाफ जो कार्यवाही शिवसेना कर रही है, उसे एक आम भारतीय होने के नाते आप किस तरह देखते हैं ?



मेरे नजर से
इसके लिए महाभारत का एक प्रसंग महत्वपूर्ण है , हुआ ये की युद्ध के समय भीम का बेटा घटोत्कच युद्ध में आ जाता है और कौरवो की सेना में भयानक मार काट मचा देता है , हैरान परेशान कौरवो ने कर्ण को बुलाया लेकिन घटोत्कच कर्ण के काबू में भी नही आ रहा था

तब कर्ण ने अपने एक विशेष अस्त्र का प्रयोग कर घटोत्कच को मार दिया

उस रात कौरवो के शिविर में बस एक इंसान दुखी था और बाकि लोग जश्न मना रहे थे वो कर्ण था और पांड्वो के शिविर में सब मातम मना रहे थे बस एक व्यक्ति मुस्कुरा रहै थे वो 
श्री कृष्ण थे  

ऐसा क्यों और यह दोनों सच्चाई जानते थे

घटोत्कच को मारने के लिए कर्ण ने जिस अस्त्र का प्रयोग किया वो उसने अर्जुन को मारने के लिए लिया था लेकिन अब अर्जुन नही मारा जा सकता था

यही वजह सोचकर कर्ण दुखी था और यही वजह जानकर कृष्ण मुस्कुरा रहे थे

कभी कभी जो कमजोर और हारता हुआ दीखता है वो ताकतवर हो रहा होता है और जो ताकतवर दीखता है वो कमजोर हो रहा होता है

लेकिन हम वो देख नही पाते

आज कंगना ने उद्धव ठाकरे को " तू " कर के बोला जो पहले संभव नही था और उद्धव सेना चुपचाप सुन रही है , एक शब्द नही निकल रहा उनके मुह से ये क्योंकि वह जानते हैं कि उन्होंने गलत किया है

इससे बड़ा प्रमाण क्या चाहिए ये समझने की आज कौन जीता है और कौन हार रहा है

कँगना के घर के काँच तोड़े गये है लेकिन कँगना ने तो ठाकरे परिवार को ही सड़क पर ला दिया उनकी गंदी राजनीति के पावर को  दिखाने के लिए

बाकी ये मोदी जी  हो या ट्रंप इस दुनिया में जब एक व्यक्ति को ताकतवर लोग टार्गेट करने लगे तो जनता हमेशा उस अकेले के समर्थन में ख़ामोशी से खड़ी हो जाती है , कंगना को कुछ लाख रूपये का ही नुकसान हुआ होगा लेकिन आज वो घर घर में चर्चा का विषय बन गयी

लोग उसकी खून पसीने की कमाई से बने घर को इस तरह सरकार के तोड़ते देखकर पसंद नही करने वाले , क्योकि आम इंसान इससे खुद को जोडकर देखता है , मोदी को चाय वाला जब कोंग्रेस ने बोला उन्होंने सोचा की लोग मोदी को कमजोर समझेगे लेकिन हुआ उल्टा

यहाँ भी जनता कंगना में अपने संघर्षो को देखेगे ,उसको बोले गये हरामखोर शब्द में खुद का हुआ अपमान देखेगे , उसकी सफलता में अपने अपने भविष्य के सपने को देखेगे और उसके टूटते घर में अपने टूटते घर को देख रहे है , उसके अकड़ कर खड़े रहने खुद की छवि देखेगे

ये परिस्थिति हमेशा आम इंसान को ख़ास बना देती है ,ऐसा ही हुआ था जिसके कारण मोदी इतने बड़े नेता बन पाए ऐसा ही हुआ तभी केजरीवाल इतने बड़े नेता बन गया , ऐसा ही किसी भी इंसान या कलाकर की लोकप्रियता के साथ होता है

मुझे बिलकुल हैरानी नही होगी की जल्दी ही वो राज्यसभा में सांसद बन जाए क्योकि जो हिम्मत उन्होंने आज दिखाई है वो तो किसी मुंबई या बॉलीवुड वाले ने कभी नही दिखाई

वो हिमालय की घाटी से निकली नदियों की तरह बड़े से बड़े पहाड़ को रौंद दे तो हैरानी ना होगी ,मराठी संस्कृति में स्त्रियों का सम्मान हमेश रहा चाहे वो माता जीजाबाई हो ताराबाई हो ,अहिल्याबाई हो ,राजमाता सिंधिया हो ,आप को छत्रपति शिवाजी को समझना है तो पहले जीजाबाई को समझिए आप को मालवा के इलाके में संस्कृति को समझना हो अहिल्याबाई को समझिए ,मध्य प्रदेश में भाजपा का उदय देखना हो तो राजमाता को जानिए , 1857 की क्रांति समझनी हो तो लक्ष्मीबाई को समझिए ।

ऐसे में आश्चर्य ना होगा जब मराठी मानुष ही उद्वव सेना को बाबर सेना ना घोषित कर दे ,ऐसी संस्कृति वाले किसी स्त्री को हरामखोर बोलने वालों के साथ तो नही खड़े हो सकते है

आज कँगना बॉलीवुड की सबसे ताकतवर हस्ती बन गयी ,जिस बॉलीवुड में कभी लीड रोल किसी महिला का नही रखा जाता है उसमें आज एक महिला लीडर बन कर उभर रही है ।

ये देखकर मुझे इतिहास का एक प्रसंग याद आता है

जब रानी लक्ष्मीबाई के बारे में एक अंग्रेज बोलता है कि वो उस दौर के मर्दो में इकलौती मर्द थी ।

उसी तरह आज कँगना इकलौती नायक बन गयी है


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